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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2799
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।

अथवा
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
अथवा
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्य कौन-से हैं?
अथवा
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के स्वरूप का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन

शिक्षा एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षा एवं मूल्यांकन हमेशा साथ-साथ चलते हैं। जहाँ शिक्षा होती है वहाँ मूल्यांकन भी अपना कार्य करता है, मूल्यांकन भी सतत् एवं निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। इस प्रकार मूल्यांकन न सिर्फ ज्ञान से सम्बन्धित होता है बल्कि विकास के विभिन्न पक्षों जैसे कौशल, रुचियों, आदतों आदि से भी सम्बन्धित होता है। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन योजना को विद्यालयों में लागू किया गया है तथा एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा 2010 में पाठ्य पुस्तकों को इसके अनुसार संशोधित किया गया है। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन योजना में एन.सी.ई.आर.टी. ने एक शैक्षिक सत्र कोर्स को दो सेमेस्टर में विभाजित किया है तथा प्रत्येक सेमेस्टर को दो संरचनात्मक आकलन तथा एक समेकित आकलन में विभाजित किया गया है।

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन विद्यार्थियों की शैक्षिक प्रगति का व्यापक विवरण प्रस्तुत करता है जिससे विद्यार्थियों को उचित पृष्ठपोषण विवरण प्राप्त होता है, जिसके आधार पर वे अपनी कमजोरियों और समस्याओं का निदान करके अपनी निष्पत्ति में सुधार एवं व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास कर सकें। इसके साथ ही शिक्षकों को भी एक मार्गदर्शन मिलता है तदनुसार वे अपनी अनुदेशनात्मक व्यूह रचनाओं में परिवर्तन करते हैं जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया अधिक प्रभावी बनायी जा सकें। परन्तु यह सत्य है कि सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन निःसन्देह शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने में सहायक होगा।

सतत् मूल्यांकन का अर्थं - सतत् मूल्यांकन से तात्पर्य नियमित एवं निरन्तर होने वाले मूल्यांकन से है। सतत् शब्द का प्रयोग शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया के सम्पूर्ण समन्वित आंकलन के लिए किया गया है। शिक्षा की प्रक्रिया विद्यार्थी के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करती हुई निरन्तर आगे बढ़ती रहती है और यही निरन्तरता मूल्यांकन में भी होनी चाहिए।

व्यापक मूल्यांकन - व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया को ऐसी प्रक्रिया के रूप मंआ समझा जाता है जो विद्यार्थी के ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं संज्ञानात्मक सभी पक्षों को सम्पूर्ण एवं व्यापक आकलन करती है। इसमें विद्यार्थी के आकलन के लिए विविध उपकरण एवं तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। सभी शैक्षिक क्षेत्रों से सम्बन्धित योग्यताएँ तथा सभी गैर-शैक्षिक व्यवहार के क्षेत्रों की प्रगति के मूल्य निर्धारण को व्यापक मूल्यांकन कहा जा सकता है। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का सम्प्रत्यय वास्तव में परीक्षण सुधार के निम्न सिद्धान्तों पर आधारित है।

1. जो व्यक्ति शिक्षण कार्य करता है उसी व्यक्ति के द्वारा विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाए, बाह्य परीक्षक द्वारा नहीं।

2. मूल्यांकन कार्य सत्र के अन्त में न होकर सम्पूर्ण सत्र में निरन्तर होता रहे।

3. मूल्यांकन द्वारा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के बहुआयामी पक्षों की जानकारी प्राप्त होती है।

4. अतः इसके सम्प्रत्यय के सम्बन्ध में कहा जा सकता है कि सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन विद्यार्थी की वह समग्र रूपरेखा है जो अधिगम समय या सब की पूरी अवधि के शैक्षिक एवं सहशैक्षिक पक्षों के नियमित आकलन द्वारा प्राप्त होता है। अतः सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन बच्चों के विकास के समस्त क्षेत्रों का सतत् एवं नियमित आकलन है जिसमें विभिन्न विधियों एवं उपकरणों के माध्यम से बच्चों का आकलन किया जाता है। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन में तीन शब्द हैं सतत् व्यापक एवं मूल्यांकन।

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्य - सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

1. विभिन्न विषयों में निश्चित समय उपरान्त बच्चों की प्रगति जानना।
2. बच्चों के व्यवहार में हुए परिवर्तनों का पता लगाना।
3. प्रत्येक बच्चे को सीखने और समुचित विकास में मदद करना।
4. सृजनशीलता को बढ़ावा देना।
5. बच्चे की व्यक्तिगत और विशेष जरूरतों का पता लगाना।
6. बच्चों को सीखने में कठिनाइयों को दूर करने के लिए अध्यापन की उपयुक्त योजना बनाना।
7. बच्चों की रुचि जानना।
8. कक्षा में चल रही सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को बेहतर बनाना।

9. बच्चों में परीक्षा के प्रति व्याप्त भय व दबाव को दूर करना और स्व-आकलन के लिए प्रोत्साहित करना।

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का स्वरूप

शिक्षा बच्चों को समाज के जिम्मेदार उत्पादक और उपयोगी सदस्य बनाने में सक्षम करना है। ज्ञान, कौशल और व्यवहार सीखने के अनुभव और अवसरों में शिक्षार्थियों के लिए बनाया जाता है। सतत् और व्यापक मूल्यांकन विद्यालय आधारित कार्यक्रमों के मूल्यांकन की एक प्रणाली है। विभिन्न आयोगों एवं समितियों द्वारा परीक्षा सुधारों की आवश्यकता महसूस की गई। हण्टर आयोग (1882), कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग अथवा सेडलर आयोग (1917-1919), हटोर्ग समिति (1929), सार्जेण्ट योजना (1944), मुदालियर आयोग (1952-53) आदि ने बाह्य परीक्षाओं पर दिए जाने वाले जोर को घटाने और सतत् और व्यापक मूल्यांकन के जरिए आन्तरिक मूल्यांकन को प्रोत्साहन देने के बारे में सिफारिशें दी हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस पहलू को पूरी तरह से ध्यान में रखा जाता है। इसमें कहा गया है सतत् और व्यापक मूल्यांकन जिसमें मूल्यांकन के शैक्षिक और गैर-शैक्षिक दोनों पहलू शामिल हों और जो शिक्षा की सम्पूर्ण अवधि के लिए हो। उपस्थिति के दौरान बच्चे के हर पहलू पर उनका मूल्यांकन करना है। यह परीक्षा से पहले व परीक्षा के दौरान बच्चे पर दबाव कम करने में मदद करती हैं। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा मण्डल इसे सतत् और व्यापक मूल्यांकन की योजना में अपने परीक्षा सुधार कार्यक्रम में एक भाग के रूप में लाया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
  7. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
  9. प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
  10. प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
  13. प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
  17. प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  18. प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
  20. प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
  21. प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
  23. प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
  24. प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
  27. प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
  29. प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  30. प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
  33. प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
  34. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
  36. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
  38. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  39. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
  41. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  43. प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  44. प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
  45. प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
  46. प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
  47. प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  48. प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
  53. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
  56. प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
  57. प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  61. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
  64. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
  65. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
  66. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  67. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
  68. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
  69. प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  71. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  72. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  73. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  76. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  77. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  78. प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  82. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  83. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
  85. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  87. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  88. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
  92. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  93. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' ( OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
  97. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के गुण बताइए।
  98. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
  99. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
  101. प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
  102. प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।

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